About
तुम जो धड़कती थी सीने में जिंदगी बनकर.....मेरे ज़िस्म मेरे शरीर में मेरी रूह बनकर.....मेरे दिल के हर हिस्से में दौड़ते रक्त प्रवाह की मानिंद..... कहीं तुम्हें कोई दर्द ना हो मेरी वज़ह से तुम्हें कोई आघात ना हो...मेरे प्रेम की निरंतरता उसकी एकाग्रता भंग ना हो नीरसता का एक अंश भी घर ना कर पाए हमारे प्रेम के अहसासों में.... शायद इसीलिए......तुम्हारी वह मोहब्बत जो अक्सर मुझसे छुअन मांगती थी मैंने तुम्हारे मोह का त्याग कर दिया.....क्योंकि.... वह चंचल मन मेरा बार बार तुमसे कहता था...... ...तुझे छूने को दिल करे........
36m 38s · Sep 20, 2023
© 2023 Podcaster